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निवेश के अवसर गैस

भारत सरकार ने चुनौतीपूर्ण लागत और प्रौद्योगीपरक प्रचालनों के चलते ऐसे गहरे समु्द्री/अत्‍यधिक गहरे समुद्री/उच्‍च दाब उच्‍च ताप वाले क्षेत्रों जिनसे वाणिज्‍यिक उत्‍पादन 01 जनवरी, 2016 से शुरू हो गया है, में सभी खोजों और सभी भावी खोजों के लिए एक नीति घोषित की है। इस नीति का लक्ष्‍य गहरे समु्द्री(डीडब्‍ल्‍यू), अत्‍यधिक गहरे समुद्री (यूडीडब्‍ल्‍यू) और उच्‍च दाब उच्‍च ताप (एचपीएचटी) वाले क्षेत्रों में तेल और गैस संसाधनों का दोहन करना और खोजे गए, दुर्गम क्षेत्रों से गैस उत्‍पादन को प्रोत्‍साहित करना है। इस नीति के अनुसार उत्‍पादकों को वैकल्‍पिक ईंधनों के उतराई तक के मूल्‍य, जिसका परिकलन 6 माह में एक बार किया जाता है और ये अगले 6 माह के लिए लागू होता है, के आधार पर अधिकतम मूल्‍य की शर्त पर मूल्‍य निर्धारण की आजादी सहित विपणन की अनुमति होगी।

 


सकारात्‍मक परिणाम:

इस नीति से 21 डीडब्‍ल्‍यू क्षेत्र, 1 यूडीडब्‍ल्‍यू क्षेत्र और 5 एचपीएचटी क्षेत्रों में वर्तमान में की गई खोजों की आर्थिक व्यवहार्यता में सुधार करके गैस उत्पादन में 6.75 टीसीएफ की वृद्धि होने की उम्मीद है। इसके अलावा, इस नीति से भविष्य में होने वाली ऐसी खोजों का विकास सुसाध्‍य हो जाएगा।

नए घरेलू प्राकृतिक गैस मूल्‍य निर्धारण संबंधी दिशा-निर्देश

     यह मूल्य निर्धारण नीति संयुक्त राज्य अमेरिका, मैक्सिको, कनाडा, यूरोपीय संघ और रूस के मौजूदा हब के मूल्‍यों पर आधारित है और इसका मूल्य संशोधन साइकल छह महीने का है।
     उपभोक्ताओं के साथ-साथ उत्पादकों के हितों की रक्षा के लिए वैकल्पिक ईंधन की अनुमानित लागत के आधार पर अधिकतम मूल्‍य लागू किया गया है। 
     अधिकतम मूल्‍य अमरीकी डॉलर प्रति एमएमबीटीयू (जीसीवी) में निम्‍नलिखित के न्‍यूनतम के रूप में परिकलित किया जाएगा:

(i)    आयातितईंधन तेल का उतराई तक का मूल्‍य, 
(ii)    वैकल्‍पिक ईंधनों का भारित औसत आयात उतराई तक का मूल्‍य।
(iii)    आयातित एलएनजी का उतराई तक का मूल्‍य।

     पेट्रोलियम और प्राकृतिकगैस मंत्रालय का पेट्रोलियम आयोजना और विश्‍लेषण प्रकोष्‍ठ मूल्‍य निर्धारण को प्रत्‍येक 6 माह के लिए अधिसूचित करता है।

निवेशकों के लिए अच्‍छी ख़बर

भारतीय गैस बाज़ार अधिकांशत: एकीकृत सूत्र आधारित गैस मूल्‍यों को अपनाएंगे।

और अधिक ब्‍यौरों के लिए हमारी वार्षिक रिपोर्ट देखें…
 

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