Minister of Petroleum and Natural Gas
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रकबों के लिए बोली की योजना तैयारा करने के उद्देश्य से अन्वेषण और उत्पादन कंपनियों के लिए एक तेल और गैस क्षेत्र के गुणवत्ता वाले आंकड़े अत्यंत महत्वपूर्ण हैं और इसका संज्ञान लेते हुए कि अन्वेषण और उत्पादन के आंकड़े राष्ट्रीय संपत्ति हैं इसलिए इन पूरे आंकड़ों को वाणिज्यिक दोहन, अनुसंधान और विकास हेतु उपलब्ध करवाने के लिए भारत सरकार के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ओर से डीजीएच द्वारा नेशनल आंकड़ों रिपोजिटरी की स्थापना की गई थी। एनडीआर के व्यापक उद्देश्य निम्नानुसार हैं:
बगैर किसी अड़चन के ऑनलाइन और ऑफलाइन उपलब्धता के प्रावधान के साथ विश्वसनीय अन्वेषण और उत्पादन के आंकड़ों का वैधीकरण, भंडारण, रखरखाव और पुन: पेश करना।
मौजूदा उद्यमियों के बीच आंकड़ों की दक्षतापूर्ण रिपोर्टिंग, आंकड़ों का विनिमय और ट्रेडिंग को सुसाध्य बनाना।
अन्वेषण और उत्पादन संबंधी कार्यकलापों की निगरानी और नियंत्रण के लिए डीजीएच की क्षमता बढ़ाना।
भारत में अन्वेषण और उत्पादन के माहौल को बेहतर बनाने के लिए हाइड्रोकार्बन अन्वेषण और लाइसेंसिंग नीति (एचईएलपी) के तहत भारत में अन्वेषण और उत्पादन संबंधी कार्यकलापों में मदद करना।
प्रसंस्करण, व्याख्या और विजुलाइजेशन के लिए आंकड़े उपलब्ध करवाना।
भारत में समग्र भू-वैज्ञानिक कार्यकलापों को मज़बूती प्रदान करना।
एनडीआर एचईएलपी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। खुला रकबा लाइसेंस कार्यक्रम (ओएएलपी) 28 जून, 2017 को एनडीआर के साथ शुरू किया गया था ताकि संविदाकर उस ब्लॉक विशेष के आंकड़ों और बोली का विश्लेषण कर सकें, जिसमें वे रुचि रखते हैं। एनडीआर के माध्यम से प्रस्तुत आंकड़ों को अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी सिमुलेशन के माध्यम से प्राप्त किया जाता है, जो आंकड़ों को अधिक विश्वसनीय बनाता है और प्रचालक एक ब्लॉक विशेष की बोली लगाने के बारे में सटीक निर्णय लेने के लिए इन आंकड़ों का लाभ उठा सकते हैं। भारत में अन्वेषण और उत्पादन संबंधी कार्यकलापों को बढ़ावा देने के लिए एनडीआर की स्थापनाबहुत महत्वपूर्ण है । एनडीआर के प्रमुख लाभार्थी अन्वेषण और उत्पादन प्रचालक, सरकारी एजेंसियां, विश्वविद्यालय, अनुसंधान संस्थान और डीजीएच द्वारा हकदार बनाए गए पक्षकार हैं।
एनडीआर की कुछ प्रमुख विशेषताएं निम्नानुसार हैं:
i. भारत के 26 तलछटीय बेसिनों में पारंपरिक और गैर-पारंपरिक हाइड्रोकार्बनों संभाव्यता के मूल्यांकन के लिए डीजीएच की 2932.33 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से 48,243 एलकेएम भूकंपीय एपीआई शुरू करने की योजना है।
ii. आर्ट ऑफ़ स्टेट प्राइमरी डेटा सेंटर (पीडीसी) संसाधित आंकड़ों और 720 टीबी रोबोट टेप लाइब्रेरी का भंडारण करने के लिए हार्ड डिस्क की 156 टीबी की डेटा स्टोरेज क्षमता से लैस है।
iii. आपदा से उबरने और कारोबार जारी रखने के लिए 60 टीबी के साथ माध्यमिक डेटा सेंटर (एसडीसी) सुविधा को भुवनेश्वर में शुरू किया जाएगा।
iv. पीडीसी और एसडीसी के बीच रीयल टाइम डेटा रेप्लीकेशन।
v. जी एंड जी आंकड़े देखने के लिए पूरी तरह से सुसज्जित डेटा विज़ुअलाइज़ेशन कमरे स्थापित किए गए हैं।
vi. विशेष प्रशिक्षण के लिए कौशल विकास केंद्र सुविधा।
vii. अलग-अलग दलों के लिए अनेक बायोमेट्रिक प्रवेश और निकास द्वारों के साथ अत्यधिक सुरक्षित।
viii. फायरवॉल की दो परतों द्वारा सुरक्षित नेटवर्क एक्सेस
दिनांक 31 मार्च, 2018 की स्थिति के अनुसार एनडीआर में उपलब्ध आंकड़े:
18 लाख एलकेएम द्विआयामी भूकंपीय आंकड़े।
6.5 लाख एसकेएम त्रिआयामी भूकंपीय आंकड़े।
14,415 कूप और लॉग आंकड़े।
29,638 कूप आंकड़े।
14,464 भूकंपीय रिपोर्टें।
फिजीकल डाटा व्यूइंग रूम में व्याख्या समाधान।
एनडीआर की विशेष उपलब्धियां:
वर्चुअल डाटारूम के लिए क्लाउड बेस्ड सॉल्यूशन।
आईएसओ प्रमाणन।