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नीति/अधिनियम/विनियम

नीति/अधिनियम/विनियम
o    स्थानीय सामग्री (पीपी-एलसी) से जुड़ी खरीद वरीयता प्रदान करने की नीति
मेक इन इंडिया
o    परिचय
o    3-5 वर्षों के लिए अधिप्राप्ति अनुमान
o    अन्य पहलें
एमएसएमईज से संबंधित मामले
o    परिचय
कौशल विकास
o    परिचय
o    कौशल विकास संस्थान (एसडीआईज)
o    अन्य पहलें
स्टार्ट-अप
o    परिचय
o    पीएसयूज द्वारा स्टार्ट-अप निधि कार्यक्रम
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस
o    परिचय
o    अधिप्राप्ति प्रक्रिया में दक्षता और पारदर्शिता को बढ़ाना
 
 
नीति/अधिनियम/विनियम
Ø स्थानीय सामग्री (पीपी-एलसी) से जुड़ी खरीद वरीयता प्रदान करने की नीति
o    संशोधित पीपी-एलसी  नीति (दस्तावेज़ का लिंक)
o    अगले 1 वर्ष के लिए पीपी-एलसी पॉलिसी की अनुप्रयोज्यता का विस्तार (दस्तावेज़ का लिंक)
o    पीपी-एलसी आदेश दिनाँक 7.10.2019 (दस्तावेज़ का लिंक)
 
 
मेक इन इंडिया
परिचय:
    भारत को वैश्विक पृष्ठभूमि में एक विनिर्माण हब में परिवर्तित करने के लिए व्यापक स्तर राष्ट्र-निर्माण पहल के एक भाग के रूप में मेक इन इंडिया को सितंबर 2014 में माननीय प्रधानमंत्रीजी द्वारा आरंभ किया गया था।
    तेल और गैस क्षेत्र में मेक इन इंडिया का आगाज करने के लिए, दिनाँक 12.04.2017 को पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अंतर्गत सभी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में स्थानीय सामग्री से जुड़ी खरीद वरीयता (पीपी-एलसी) के लिए एक नीति का अनुमोदन सरकार द्वारा किया गया था।  नीति का उद्देश्य तेल और गैस संबंधी व्यावसायिक गतिविधियों में स्थानीय सामग्री संबंधी लक्ष्यों को पूरा करने वाले निर्माताओं/सेवा प्रदाताओं को खरीद में वरीयता प्रदान करके भारत में तेल और गैस परियोजनाओं को लागू करके वस्तुओं और सेवाओं में स्थानीय सामग्री में वृद्धि को प्रोत्साहित करना है।        
3-5 वर्षों के लिए अधिप्राप्ति अनुमान (दस्तावेज का लिंक)
अन्य पहल :
Øआत्मनिर्भर भारत अभियान (स्वावलम्बी भारत)  
o    भारत सरकार ने अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र, आपूर्ति से लेकर विनिर्माण तक माँग सुनिश्चित करने और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में कड़ी प्रतिस्पर्धा के प्रति देश को आत्मनिर्भर बनाने के  लिए “आत्मनिर्भर भारत अभियान” की घोषणा की है।
o    तेल और गैस क्षेत्र में इस पहल को आगे बढ़ाने के लिए,  माननीय मंत्री, पे.प्रा.गै. और इस्पात  द्वारा इस क्षेत्र में मेक इन इंडिया पहल की प्रगति की समीक्षा की गई है। माननीय मंत्री ने तेल और गैस क्षेत्र से संबंधित विभिन्न वस्तुओं के स्थानीयकरण पर जोर दिया है।
o    तेल और गैस क्षेत्र से संबंधित विभिन्न वस्तुओं के स्थानीयकरण की पहल को चलाने के लिए , सचिव, पे.प्रा.गै.मं की अध्यक्षता में एक टास्क फोर्स का गठन किया गया है जिसमें तेल और गैस पीएसयूज और निजी कंपनियों को सदस्य बनाया गया है।
o    एक संपूर्ण पोर्टल विकसित करने का निर्णय लिया गया है जहाँ सभी तेल और गैस संगठन अपनी भविष्य की माँगों और उनके द्वारा अधिप्राप्त किए गए विभिन्न मद श्रेणियों को अपलोड करेंगे।  उम्मीद है कि प्रस्तावित पोर्टल से भारतीय विनिर्माताओं को अपनी विनिर्माण क्षमता बढ़ाने में सहयोग मिलेगा, इस प्रकार " मेक  इन इंडिया" को "आत्मनिर्भर  भारत"  की ओर प्रेरित किया जा सकेगा। यह पोर्टल विभिन्न पणधारकों, जैसे सरकारी अधिकारियों और  अपस्ट्रीम, मिडस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम श्रेणी में विभिन्न संगठनों के लिए आसान रिपोर्ट प्रदान करेगा।
o    इस दिशा में एक रणनीति के रूप में भावी उद्यमियों के साथ-साथ मौजूदा निर्माताओं के साथ नियमित वार्तालाप किया जाना भी परिकल्पित किया गया है।  नियमित वेबिनार के माध्यम से यह योजना बनाई गई है कि प्रत्येक वार्ता में एक विशिष्ट मद श्रेणी पर ध्यान दिया जाए। यह नए क्षेत्रों में कार्य करने के लिए विनिर्माताओं को मार्गदर्शन प्रदान करेगा।
 
एमएसएमईज से संबंधित मामले
परिचय :
    एमएसएमईडी अधिनियम, 2006 की धारा 11 के तहत सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय (एमओएमएसएमई) द्वारा सार्वजनिक खरीद नीति के लिए एमएसई आदेश, 2012 अधिसूचित किया गया है। यह नीति 1 अप्रैल 2012 से प्रभावी है (राजपत्र अधिसूचना की तिथि 26 मार्च, 2012)।    
    इस नीति के उद्देश्य सूक्ष्म और लघु उद्ययोग द्वारा उत्पादित उत्पादों और सेवाओं के विपणन में सहयोग के माध्यम से उनका विकास और उन्हें प्रोत्साहित करना है। तथापि, यह नीति प्रतिस्पर्धा के मुख्य सिद्धांत पर टिकी हुई है, जो सुरक्षित खरीद नीतियों और आपूर्ति के निष्पादन का पालन करती है  जो उचित, न्यायसंगत, पारदर्शी, प्रतिस्पर्धी और लागत प्रभावी है। 
     पे.प्रा.गै.मं के अंतर्गत संस्थाएँ, एमओएमएसएमई द्वारा जारी एमएसई आदेश, 2012 में  निर्धारित किए गए प्रावधानों का पालन कर रही हैं।        
 
 
कौशल विकास
परिचय :
    भारत के प्रधानमंत्री जी द्वारा कौशल भारत पहल की शुरुआत 15 जुलाई, 2015 को की गई थी। मिशन कौशल के माध्यम से सभी क्षेत्रों और राज्यों में कौशल प्रशिक्षण गतिविधियों को समेकित करता है।   
    सरकार के राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन के अनुसरण में  भारत के हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में कौशल विकास की आवश्यकता को पूरा करने के लिए दिनाँक 26.04.2016 को हाइड्रोकार्बन क्षेत्र कौशल परिषद (एचएसएससी) की स्थापना की गई थी।  
      हाइड्रोकार्बन क्षेत्र कौशल परिषद की आधिकारिक साइट : https://www.hsscindia.in/ है। 

कौशल विकास संस्थान (एसडीआईज) :
    आईओसीएल, एचपीसीएल, बीपीसीएल, ओएनजीसी, गेल और ओआईएल द्वारा छह कौशल विकास संस्थान (एसडीआईज) क्रमशः भुवनेश्वर, विजाग , कोच्चि, अहमदाबाद , रायबरेली और गुवाहाटी में शुरू किया गया है। एसडीआईज अत्याधुनिक संस्थान हैं, जो देश के विभिन्न भाग में हाइड्रोकार्बन क्षेत्र, उप-क्षेत्र की क्षेत्रीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कौशल प्रशिक्षण प्रदान करते हैं।      
क्र. सं.    एसडीआई की स्थिति    अग्रणी कंपनी    उद्घाटन/कार्यात्मक होने की तिथि
1    भुवनेश्वर    आईओसीएल    मई, 16
2    विशाखापत्तनम    एचपीसीएल    अक्टूबर, 16
3    कोच्चि    बीपीसीएल    दिसम्बर,16
4    अहमदाबाद    ओएनजीसी    सितम्बर, 17
5    गुवाहाटी    ओआईएल    अगस्त, 17
6    रायबरेली    गेल    नवंबर, 17
   मार्च, 2020 तक, 15978 प्रशिक्षुओं को कौशल विकास संस्थानों द्वारा प्रशिक्षित किया गया है।
Ø एसडीआईएस की आधिकारिक वेबसाइट:    
  
क्र. सं.    स्थिति    आधिकारिक वेबसाइट
1    एसडीआई, भुवनेश्वर    https://www.sdibhubaneswar.in/
2    एसडीआई, विशाखापत्तनम    https://sdivisakhapatnam.com/
3    एसडीआई, कोच्चि    https://www.sdskochi.com/
4    एसडीआई, अहमदाबाद    https://www.sdiahmedabad.in/
5    एसडीआई, गुवाहाटी    http://sdiguwahati.com/
6    एसडीआई, रायबरेली    http://sdiraebareli.org/
 
 अन्य पहल :
    तेल और गैस क्षेत्र के लिए व्यवसाय की पहचान और योग्यता पैक (क्यूपी) का विकास
o    हाइड्रोकार्बन क्षेत्र के लिए आवश्यक कौशल सेट किसी भी अन्य क्षेत्र से पूरी तरह से अलग है क्योंकि इस क्षेत्र को ज्वलनशील उत्पादों से निपटने और ज्वलनशील वातावरण में काम करने की आवश्यकता होती है।
o    राष्ट्रीय व्यावसायिक मानक (एनओएस) / योग्यता पैक (क्यूपी) विकास के लिए उद्योग के सदस्यों के परामर्श से कई उच्च प्राथमिकता वाले व्यवसायों की पहचान की गई है । मार्च 2020 तक, 16 क्यूपीज को राष्ट्रीय कौशल योग्यता समिति (एनएसक्यूसी) और एनएसडीसी की योग्यता पंजीकरण समिति (क्यूआरसी) द्वारा अनुमोदित किया गया है ।      
Øपूर्व अधिगम की पहचान (आरपीएल)      
o     प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) के अंतर्गत पूर्व अधिगम (आरपीएल) टाइप-4 परियोजना की पहचान के लिए एचएसएससी ने आईओसीएल, एचपीसीएल और बीपीसीएल खुदरा बिक्री केन्द्रों (तेल एवं गैस) के डीलरों, वितरकों, ठेकेदार और परिचरों, एलपीजी वितरण कार्मिक और टैंक लॉरी चालकों (पेट्रोलियम उत्पाद) ट्रेड से जुड़े व्यापक अप्रमाणित कार्यबल को प्रमाणित किया है।  मार्च 2020 तक, 72709 कर्मियों के मूल्यांकन का कार्य पूरा हो चुका है।  
 

स्टार्ट अप
परिचय:
    माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिनाँक 16 जनवरी, 2016 को उद्यमशीलता को बढ़ावा देने और स्टार्ट-अप की संवृद्धि सुनिश्चित करने के लिए उचित वातावरण बनाने के लिए  "स्टार्ट-अप इंडिया” पहल की शुरुआत की गई थी। 
    पे.प्रा.गै.मं ने तेल और गैस पीएसयूज को अपने अपने क्षेत्रों में सुविधाएँ बढ़ाने/ नवोन्मेष वातावरण सृजित करने और स्टार्ट अप को प्रोत्साहन देने के लिए निर्देशित किया था। इस पहल का उद्देश्य पीएसयूज को नवाचार उपागम के माध्यम से समाधान को प्रोत्साहित करने के लिए इनक्यूबेशन सेंटरों की स्थापना करना है जिससे युवाओं को स्टार्ट अप के लिए आकृष्ट किया जा सके।
    स्टार्ट अप इंडिया पहल में भाग लेने वाली तेल और गैस क्षेत्र की पीएसयूज में ओएनजीसी, ओआईएल, आईओसीएल, बीपीसीएल, एचपीसीएल, ईआईएल, गेल, एनआरएल, एमआरपीएल और बामर लॉरी शामिल हैं। पिछले तीन वर्षों में इन सार्वजनिक उपक्रमों ने स्टार्ट अप निधि के 320 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है।           
पीएसयू द्वारा स्टार्ट-अप निधि कार्यक्रम:
    पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अंतर्गत सीपीएसईज नवोन्मेष वातावरण की  सुविधा प्रदान करने के साथ-साथ अपने-अपने क्षेत्रों में स्टार्ट-अप्स को बढ़ावा दे रहें हैं।
    सीपीएसजई ने अपना स्टार्ट अप निधि बनाया है जिसमें पिछले वर्ष में 320 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। उन्होंने अपनी अपनी स्टार्टअप वेबसाइट लॉन्च किया है और विभिन्न शैक्षिक संस्थानों जैसे आईआईटी, आईआईएण, एनआईटी आदि के साथ सहयोग के लिए करार भी किया है।      
    इस मंत्रालय के अधीन तेल और गैस पीएसयूज ने 167 स्टार्ट अप परियोजनों का चयन किया है जिसके लिए 195.30 करोड़ का प्रावधान किया गया है और चुनिन्दा स्टार्ट अपों को 120.65 करोड़ रुपए संवितरित किए जा चुके हैं। कुछ स्टार्टअप पहले ही परिपक्व हो चुके हैं।     
    आंतरिक विशेषज्ञता और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) और भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) जैसे संस्थानों के माध्यम से परामर्श प्रदान किया जाता है।  
     स्टार्टअप प्रोजेक्ट्स में इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) / इंडस्ट्रियल इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईआईओटी)/एचसी मूल्य श्रृंखला ऑप्स में सॉफ्टवेयर-ऐस-ए-सर्विस (एसएएएस), बिजनेस प्रोसेस, स्वच्छ उर्जा विकल्प, सामाजिक सरोकार, स्वास्थ्य और सुरक्षा एवं कृषि से संबंधित विभिन्न विषय शामिल हैं।
    अगले 3 वर्षों के लिए तेल पीएसयूज द्वारा 291.91 करोड़ रुपए के स्टार्ट अप निधि का प्रावधान किया गया है।      
 
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस
परिचय :
    अधिप्राप्ति/निविदा प्रक्रिया में निष्पक्षता और दक्षता सुनिश्चित करने के लिए , अपर सचिव, पे.प्रा.गै.मं. की अध्यक्षता में एक कार्य समूह गठित की गई है। अधिप्राप्ति/निविदा प्रक्रिया में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाने के लिए  कार्य समूह ने अपनी रिपोर्ट  "तेल सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में अधिप्राप्ति में दक्षता और पारदर्शिता बढ़ाना" में 50 सिफारिशें सुझाएं हैं।    
अधिप्राप्ति प्रक्रिया में दक्षता और पारदर्शिता बढ़ाना :
    पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने अपने अंतर्गत कार्यरत तेल और गैस पीएसयूज (ओपीएसयूज) को  सभी स्टार्टअप (चाहे एमएसईज हो या अन्यथा) की अधिप्राप्ति मैनुअल में  गुणवत्ता और तकनीकी विशिष्टताओं (सार्वजनिक सुरक्षा, स्वास्थ्य, महत्वपूर्ण सुरक्षा संचालन और उपकरण से संबंधित मदों की अधिप्राप्ति को छोड़कर) को पूरा करने के अध्यधीन पिछला ट्रैक रिकॉर्ड (पीटीआर) मानदंड में छूट के समावेश पर विचार करने के लिए निर्देशित किया है।
     ओपीएसयूज को कॉमन पोर्टल  www.msmedatabank.in का इस्तेमाल करने को कहा गया है जो एमएसई विक्रेताओं के साथ संलग्न होने का एक साझा मंच है। 
     ओपीएसयूज को सेवाओं, जहां गुणवत्ता महत्वपूर्ण और/या जहां सेवाएँ विशेष प्रकृति की हैं और विशिष्टीकृत हैं अथवा जहाँ दोयम दर्जे की सेवाओं को समाप्त करने के लिए सेवाओं के दायरे की सीमित नहीं किया जा सकता है, में संयुक्त गुणवत्ता और लागत आधार पर चयन (क्यूसीपीएस) प्रणाली अपनाने की सलाह दी गई है । ओपीएसयूज द्वारा ऐसी कुछ सेवाओं की पहचान की गई हैं जहाँ क्यूसीबीएस का प्रस्ताव किया जा सकता है।
    सुरक्षित और मजबूत आंकलनों के लिए ओपीएसयूज को अपने संगठन में एक केंद्रीय लागत अनुमान प्रकोष्ठ गठित करने पर विचार करने के लिए निर्देशित किया गया है।     
    रिपोर्ट में निविदा खंड सहित 30 सिफारिशें की गई हैं जिसमें ओपीएसयूज को सामर्थ्यदाता  के रूप में माना गया है, इनमें से अधिकतर को ओपीएसयूज द्वारा क्रियान्वित किया जा चुका है।      
 
 

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